________________ ०भा० वेइयबद्ध-वेदिकाबद्ध दोष | मित्त-मित्र दोष भयंतं-भजंत दोष कारणा-कारण दोष भष-भय दोष तिनं-स्तैन्य दोष .. गारव-गारव दोष 'पडिणीय-प्रत्यनोक दोष गु०भा० रुह-रुष्ट दोष -तज्जिय-तर्जित दोष सह-शठ दोष / हीलिय-हीलित दोष विपलियचिअयं-विपलियचित्त दोष SwamacREWEDDtaSamaARMPARAVAKAMANAGamaya वेइयबद्ध भयंतं, भय गारव मित्त कारणा तिन्नं // पडिणीयरुठ्ठ तज्जिअ, सहीलिअ विपलिय चिअयं 24 / / wasanaD/OOGondeeveedom/empAmaD/DP/0wanciana/app/ शब्दार्थ-(१०) वेदिकारद्धदे.ष, (11) भनंनदोष, (12) भयदोष, (13) गारवदोष, (14) मित्रदोप, (15) कारप्रदोष, (16) सैन्यदोष, (17) प्रत्यनिकदोष, (18) रुटदोष, (19) तर्मितदोष, (20) शठदोष, (21) हिलितदोप (22) विपलितचितदोष. // 24 // विस्तारार्थ-तथा जे बे ढींचणनी उपर तथा देठे हाथ राखीने अथवा बे हाथ विचाखे बे ढींचण राखीने अथवा वे हाथनी वचमां एक ढींचण राखीने अथवा खोले हाथ मूकीने वांदे, ते दशमो 1187 w ati Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org