________________ पायाहिणेण-प्रदक्षिणाये तियतिय-त्रण अणवार वाम-डावी इअर-जमणी / बाहु-बाहुये, भुजाये सीस-मस्तके मुह-मुखे हियए-हैयाने विषे अंसुट्टाहो-वे खभानी उपर तथा नीचे पिठे-पिठे चउ-चार छप्पय-छ पडिलेहण पगनी देह-शरोरनी पणवीसा-पच्चोस Newtaww/taTVVVarows/tamaraavanantaraasanasavivaan पायाहिणेण तिअ तिअ, वामेअर बाहु सीस मुह हियए। अंसुढाहो पिठे, चउ छप्पय देह पणवीसा // 21 // BahuvetouTVASAVasecondama/NERAGOVING/AM शब्दार्थ-प्रदक्षिणाये करीने डाबी अने जमणी बाहुये, मस्तके, मुखे अने हृदये. ए पांच ठेकाणे त्रण त्रणवार; खभानी उपर अने नीचे, तेमज बे पीठ उपर अने छ बन्ने पग उपर एम सर्व मली शरीरनी पच्चीश पडिलेहणा थाय. 21 विस्तारार्थः-प्रदक्षिणायें एटले प्रदक्षिणावर्ते करी एक माबे बाहये अने बीजं इतर ते जमणे बाहुयें तथा त्रीजु मस्तके, चो) मुखे अने पांच, हीयाने विषे ए पांच गमे त्रण त्रण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janebryong