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________________ सभा गु०भा० VOMEvamantavastavAMDEVaadvanta/ AMIVamvasaa/AANAVITA पहेला त्रण अस्कोमामां सुदेव, सुगुरु अने सुधर्म, ए त्रण तत्व श्रादर्स, पबीत्रण प्रमाऊनामां कुदेव कुगुरु अने कुधर्म, ए त्रण परिहरु, बीजा त्रण अस्कोमामां ज्ञान, दर्शन अने चारित्र, एत्रण आदलं, पडी त्रण प्रमाऊनामां छानविराधना, दर्शनधिराधना अने चारित्रविराधना, ए पण परिदलं, त्रीजात्रण अस्कोमामां मनोगुप्ति, वचनगुप्ति अने कायागुप्ति ए त्रण गुप्ति आदरं, पली त्रण प्रमार्जनामां मनोदम, वचनदंम अने कायदंम, ए त्रण दंग परिहएवी रीतें मनमां चिंतव, ए क्रिया करवानी मुहपत्ति एक वेंत ने चार अगुंल आत्म प्रमाणनी जोश्ये अने रजोहरण तथा चरवलो बत्रीश अगुंलनो जोश्ये तेमां चोवीश अंगुलनी दांमी अने आठ अंगुलनी दशी जोश्ये अथवा न्यूनाधिक करी होय तो पण सरवाले बत्री अंगुल जोश्य, ए पच्चीश पमिलेहणा स्त्री पुरुष बेहुयें करवी. ए अगीयारमुं धार थथु, अने उत्तर बोल पञ्चाएं थया // हवे शरीरनी पच्चीश पमिलेहणानुं बारमुं द्वार कहे बे. MINSEVAAGwseemGADGE/touertenmastavasanv 83 // Jan Education in For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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