________________ wwwse/dmVIAGEMARVARD/Masabanavtartoon विस्तारार्थः-हवे ए पच्चीश आवश्यक जे , तेमां अनेरुं एक पण स्थानक प्रत्ये विराधतो एवो जे साधु तेमज साधवी श्रावक, श्राविका होय, ते कृतिकर्मने करतो तो पण एटले वांदणां देतो बतो पण कृतिकर्म थकी जे कर्मपरिशाटनरूप निर्जरा थाय तेनो संविन्नागीन थाय एटले ते वांदणांनुं जे निर्जरा रूप फल, ते न पामे // 15 // ए दशमुंहार थयुं उत्तर बोल सित्तर थया। . यंत्र स्थापना. अवनत नमवू यथाजात मुजा. श्रावत. शिरो नमन.| गुप्ति / प्रवेश. | निकलवं. 11 4 3 हवे मुहपत्तिनी पच्चीश पमिलेहणानुं अगीयारमुं हार कहे . दिछि पडिलेह-दृष्टि पडिलेहणा) वृपष्फोड-उंचापखोडा अंतरिआ-एकेकने अंतरे | नव-नव एगा-एक तिग-त्रण अख्खोड-अख्खोडा मुहपत्ति-मुहपत्तिनी | ति-प्रग पमज्जणया-प्रमार्जना पणवीसा-पच्चीश pavasavatamawom/satsaamaanaantwasanay क Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org