________________ Daveaawaauswanawasatewatastawragopatnaspatane विस्तारार्थः-एक विदित गुरुथके एटखे जेवारें धर्मकथा करवामां व्यग्रचित्त होय, बीजो | कार्यादिकें करीने पराङ् मुख होय एटले संमुख बेग न होय पण उपरांग बेग होय; त्रीजें प्रमादी थका होय एटले क्रोधादिकें अथवा संथारवादिके प्रमाद सेवता होय; निमाबु थका होय; चो\ आहार पांचमुं नीहार एटले लघुनीति अथवा वमीनीति प्रत्ये करता होय; अथवा करवानी कामना एटले बांबना करता होय वली करवा जता होय एटले स्थानके केवारे पण गुरुने वांदवा नही. अहीं माशब्द निषेधवाचक डे // 15 // ए सातमुं द्वार थयु. उत्तर बोल तेत्रीश थया. // 33 // . हवे चार स्थानके वांदणां देवां; तेनुं आठमुं द्वार कहे जे. पसंते-प्रशान्त / उपसंते-क्रोधादिके रहित | तु-वली | किइकम्म-वांदणां आसणथ्ये-आसने बेठा होय उवठिए-उपस्थित मेहाची-पंडितजनो पजई-उयम करे अ-वली | अणुनवि-आज्ञा मागीने /AANDANDAtomsas/40/Alavwatestha/Amavataaya awom Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelyg