________________ BHAVaanavanaavanMRAJNAAREE/AVEtate/NAT/araavana उपदेशमालावृत्ति प्रमुख ग्रंथोथी जाणवा. ए पांचने अवंदनीय जाणवा. एमने वांदवाथी कर्मनिऊरा न थाय, केवल क्लेश अने कर्मबंध उपजे तथापि ए कहेला लक्षणवालो जो शान, दर्शन | श्रने चारित्रना सहाय कारणे सेव्यो होय तो वंदनीय जाणवो. जे माटे श्रीश्रागममांहे कडं डे | के पासादिक चारित्रना असंन्नवी होय पण दर्शनना असंन्नवी न होय ते कारणे ते सेव्य जा. णवा पण श्हां तो चारित्रीयो वंदनीय कह्यो डे ते अधिकार माटे चारित्रवंत ते वंद्य बे अन्यथा जो श्रचारित्रीयाने वंद्य कहीये तो जेटलां तेनां प्रमादनां स्थानक बे ते सर्व अनुमोदनीय थाय तेथी तेने वांदतो थको प्रवचन बाधाकारी थाय. ए रीते वांदणां देवाने पासबादिक पांच अयोग्य तेमनुं त्रीजु छार का. उत्तर बोल पन्नर थया // 1 // " हवे पांच वांदवाने योग्य तेमनुं चोथु छार कहे . आयरिय-आचार्य / थेरे-थिविर किइकम्मं-कृतिकर्म कायब्वं-करवू उवज्झाए-उपाध्यायजी तहेव-तेमज पवत्ति-प्रवर्तक | गयणिए-गुण रत्ने अधीक निजरट्टा-कर्मनिर्जराने अर्थे इमेसिपंचन्ह-ए पांच क/ALIVANTARVANANJitertavita/AAGD/MVAANVAtret-JAN sinin Education International For Personal & Private Use Only www.janelyg