________________ aaaavoup/moon गु०भा० // 71 // SODEapanasp/sosoradotectetapravivatimetasote G/RDER/tag/ * विस्तारार्थः-जे ज्ञान, दर्शन अने चारित्रनी पासे रहे ते प्रथम पासबो जाणवो तथा जे |||गु०भा० साधु सामाचारीने विषे प्रमाद करे ते बीजो उस्सन्नो जाणवो. तथा जे ज्ञान, दर्शन अने चारि. वनी विराधना करे ते त्रीजो कुशीलीयो जाणवो. तथा जे वैरागी मले तो तेनी साथे पोते पण वैरागी जेवो बनी बेसे अने जो अनाचारी मले तो तेनो साथे पोते पण अनाचारी बनी बेसे, ते चोथो संसक्त जाणवो, तथा जे श्रीतीर्थकरनी आज्ञा विना पोतानो श्छायें प्रवर्ते, पोतनी श्छायें | प्ररूपणा करे, ते पांचमो यथाउंदो जाणवो. ए पोताने बंदे प्रवर्ते माटे एने बंदो कहीये. तिहां एक देशथ। बीजो सवेथी मली बे नेद पासबाना, तथा एक देशयी बीजो सर्वथी मली बे नेद उस्सन्नाना, तथा ज्ञानकुशील; दर्शनकुशील अने चारित्रकुशाल मली त्रण नेद कुशीलीयाना, तथा संक्लिष्ट चित्त अने असंक्लिष्ट चित्त मली बे नेद संसक्तना, तथा अनेक प्रकार, बंदाना जाणवा, एटले यथाबंदा अनेक नेदना थाय ने ए पासबादिक पांच जे कह्या ते श्रीजिनमतने विषे अवं // 7 // दनीय जाणवा // 12 // DATEGosactivatsupvtomo/ inin Education international For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org