________________ च०भा० इगसीइसयं तु पया, सग नउइ संपयाउ पणदंडा // बारअहिगार चउवं-दणिजसरणिजचउहजिणा // 3 // चै०भा० RomAAPopuDabDainm/node/ शब्दार्थ-चली ९मुं नवकार प्रमुख नव मूत्रना एकसोने एकासी पर,१० ए नवसूत्रनी सत्ताणु संपदा, 11 नमुथ्थुणादि पांच दंडक, 12 बार अधिकार, 13 चार वांदवा योग्य, 14 शरण करवा योग्य 15 नामस्थापनादिक चार प्रका| रना जिन-॥३॥ विस्तारार्थ-नवमं देववंदनना अधिकारें नवकार प्रख नव सूत्रोनां एकसोने एक्यासी पदो थाय बे, ते देखामवानुं हार कदीश, दशमें एज नव सूत्रांनां सप्तनवति एटले सत्ताणुं संपदा थाय बे, ते देखामवानुं छार कदीश, अगीयारमुं नमुत्थुणादिक पांच दंमकनुं हार कदीश, बारमुंह चैत्यवंदनने विषे पांच दमकमां बार अधिकार यावे . तेनुं हार कहीश, तेरमुं चार वांदवा योग्य तेनुं द्वार कहीश, चौदम उपव टालवा निमित्तें एक स्मरण करवा योग्य जे सम्यग्दृष्टि देवो 33 // तेमनुं हार कहीश, पन्नरमुं नामस्थापनादक चार प्रकारना जिननुं हार कहीश // 3 // as/apiVARMEREDAsmitD/DDRDS V 356 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org