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________________ vaaverte/SMEB/MastD/0905Bo/amara-Hamaa विस्तारार्थः-प्रथम देव वांदतां नैषेधिक आदिक दश त्रिक साचवां जोश्ये, तेनुं द्वार कहीश, बीजु थनिगमपंचक एटले पांच अनिगमनुं द्वार कहीश.त्रीजु देव वंदन करता स्त्रीने कयी दिशायें अने पुरुषने कयी दिशायें उन्ना रहेg जोश्ये, ते हिदिशि एटले बे दिशाउँनु छार कहीश, चोथु जघन्य, मध्यम अने उत्कृष्ट एवात्रण प्रकारना अवग्रहy हार कहीश, पांचमुं त्रिधातुवंदनया एटले त्रण प्रकारें वली चैत्यवंदना करवी, तेनुं द्वार कहीश, बहुं पंचांग एटले पांच अंगे प्रणिपात करवो, तेनुं द्वार कहीश, सातमुं नमस्कार करवानुं द्वार कहीश, आठमुं | देववंदनना अधिकारें जे नवकार प्रमुख नव सूत्रां आवे , तेना वर्ण एटले अक्षर ते सोलशें| ने सुमतालीश थाय, तेने गणी देखामवानुं द्वार कहीश // 2 // इगसीइसयं-एकसेने एकासी | सगनउइ-सत्ताणु वार अहिगार-बार अधिकार सरणिज्ज-स्मरण करवा योग्य तु-बली संपयान-संपदा चउवंदणिज्ज-चार वांदवा चउहजिणा-चार प्रकारना पया-पदो थायछे | पण दंडा-पांच दंडक, | योग्यतुं जिन VaNeparavaa For Personal Private Lise Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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