________________ मु०भा० गु०भा. // 6 // LAGTEAMVanavareeRANJIRANGARGEORGETERNERMA शब्दार्य-हवे गुरुवंदन त्रण प्रकारे छे. ते फेटा वंदन, योभ वंदन अने द्वादशावर्त वंदन. तेमा मस्तकने नमाववादिकथी पहेलं, अने पूर्ण पंचांग बे खमासमण देवाथी बीजुं वंदन थाय छे. // 1 // विस्तारार्थः-अथ शब्द ते मंगलाधिकारें, तथा प्रथम प्रारंजने कारणे अथ शब्दें करी चत्यंवदन नाष्य कह्या पठी हवे गुरुवदंन नाष्य कहीयें बैयें. ते गुरुवंदन त्रण प्रकारे तेमां पहेलुं फेटा वंदन, बीजु थोनवंदन, त्रोटें हादशावर्त्तवंदन, तिहां मस्तक नमामवादिकने विषे आदि शब्द थकी अंजलिकरण ते हाथ जोमवादिक जाणवा. ते पहेढुं फेटा वंदन जाणवु तथा पूर्ण पंचांग बे खमासमणा देवे करीने एटले बे हाथ, बे गोठण अने एक मस्तक ए पांच अंग नमाववा रूप ते वीजें थोनवंदन जाणवू // 1 // हां शिष्य पूजे के थोनवंदने तथा छादशावर्त वंदने प्रथम एक वार वांदीने फरी | बीजी वार शे हेतुयें वांदीए यें ? त्यां श्राचार्य उत्तर आपे . zain Eaucation international For Personal Private Use Only