________________ वि. // 53 // Maana/SP/-R/ARAMDHURevengeleaseemieranuaVIANDARI गणीश दोष ते काजस्तग्गने विषे जाणवा. तेने बांम. ए जंगणीश दोषमा केटखाएक नमूह अने अंगुली बे जूदा दोष करे , तेवारें वीश थाय, तथा एक लंबुत्तर, बीजो स्तन अने त्रीजो संयति ए त्रण दोष ते श्रमणीने न होय, केमके एनुं वस्त्रावृत शरीर होय, पण एटबुं विशेष जे साध्वी प्रतिक्रमणादि क्रिया करते मस्तक उघाउँ राखे एटले शोल दोष साधवीने लागे, अने ए त्रण दोषने वधू दोषे करी सहित करिये तेवारें लंबुत्तरादि चार दोष थाय. ते श्राविकाने न होय, शेष पंदर दोष श्राविकाने लागे ए सर्व दोष टालीने कानस्सग्ग करवो एटले कानस्सग्गना दोषनुं वीशमुं द्वार थयु. उत्तर बोल 2055 थया // 7 // इरिउस्सग्ग-इरियावहिना / पणवीसुस्सास-पचीस श्वा- | सेसेसु-शेष काउस्सग्गमा / महथ्थजुतं-महा अर्थ युक्त काउस्सग्गर्नु सोश्वासन गंभीर-गंभीर हवइ-होय पमाणं-प्रमाण अट्ठ-आठ .. महुरसई-मधुर शब्द थुत्तं-स्तवन हवे कालस्सग्गना प्रमाण- एकवीशमुं धार तथा स्तवननुं बावीशमुं हार कहे जे. PARVARiteralVaaDAADAABARDancoup/toup/itemasum For Personal & Private Use Only