________________ चै०भा० 1989 // 52 // वदनी पेरें माथु नीचे राखे ते वधूदोष, दशमो नालिनी उपरें अने ढींचणथी नीचे जानु उपरें / चै०भा० लांबु वस्त्र राखे ते लंबुत्तर दोष; ए दोष यति श्राश्रयी जाणवो. केमके कुंटीथी चार अंगुल नीचे अने ढींचणथी चार अंगुल उपर यतिने चोलपट पहेरवो कह्यो . अगीयारमुं मांस मसाना नये अथवा अज्ञानथी लजायी स्त्रीनी पेरें हैजु ढांकी राखे; हृदय आबादे; ते स्तनदोष; बारमा शीतादिकने नये साधवीनी पेरें बेहु खंना ढांकी राखे एटले समग्र शरीर आबादी राखे ते संयतिदोष, तेरमो आलावो गणवाने अर्थे संख्या करवाने अंगुली तथा पापणना चाला करे, ते | नमुहंगुली दोष, चन्दमो वायसनी पेरें आंखना मोला फेरवे, ते वायस दोष, पंदरमो पहेरेलां वस्त्र ते यका तथा प्रस्वेदें करी मलिन थवाना नयने लीधे कोनी पेरें बुगडं गोपवी राखे ते कपित्र दोष // 56 // सिरकंप-माथु धुणावे ते | वारुणि-मदिरा | इति-ए प्रकारे दोस-दोष मूअ-मूक दोष | पेह-प्रेष्य | चइज्ज-छांडे / उस्सग्गे-काउट्सग्गने waWAMBevasaetNATOAAN/Anmovessanties/P / et/ PE A MIRE/AONE R / For Personal Private Use Only