________________ BaaVANDANDEVI vashields/store/DERABVeta-GORGET/GRAAVAJVasa घोडग लय खंभाई, मालुद्धी निअल सबरि खलिण वह // लंबुत्तर थण संजइ, भमहंगलि वायस कविठ्ठ॥५६॥ शब्दार्थ-अश्व, लता, स्तंभ, माल, अधि, निगड, शबरि, खलिण, वधू, लंबूत्तर, स्तन, संयति, भमुहंगुली, वायस अने कपित्थ दोष. // 56 // विस्तारार्थः-प्रथम घोमानी पेठे एक पग उँचो राखे, वांको पा राखे, ते घोटक दोष, बीजो | जेम वायराथी वेलमी कंपे तेम शरीरने धूणावे, ते लता दोष, त्रीजो यांना प्रमुखने लिंगे रहे, | ते स्तंनादि दोष, चोथो मेमा उपरने माले माथु लगावी रहे ते माल दोष, पांचमो गामानी | ऊंधिनी पेरें अंगुठा तथा पानी मेलवी पग राखे ते उधि दोष, बहो नेजलमां पग नाख्यानीपरें | पग मोकला राखे, ते निगम दोष, सातमो नागो निबमोनो पेरें गुह्यस्थानकें हाथ राखे ते शबरि | दोष, आठमो घोमाना चोकमानी परें हाथ रजोहरणे राखे, ते खलिण दोष, नवमुं नवपरिणीत /AAGR//ARODeupanRVAIRED/ook Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org