________________ चै०भा० // 50 // चि०भा० ग्दृष्टि देव, बीजो संतिगराणं एटले सम्यक्दृष्टिने रोगादिकनी शांति करवे करीने, त्रीजो समादिगराणं एटले सम्यक्दृष्टिने समाधि उपजाववे करीने ए त्रण हेतुयें देव संन्नारवा एटले चार उत्तरीकरण तथा पांच श्रद्धादिक अने त्रण वैयावच्चकर ए द्वादशकं एटले बार हेतु चैत्यवंदनने विषे जाणवा एटले बार हेतुर्नु अढारमुं हार पूरुं थयुं अने उत्तर बोल 2020 थया // 55 // हवे शोल श्रागारनुं उगणीशमुं हार कहे जे. अन्नथ्ययाइ-अन्नथ्थादि एवमाइयाचउरो-एवमादिक अगणि-अग्निनो बोहिखोभाइ-बोधिक्षोभादि बारसआगारा-बार आगार . चार पणिदिछिंदण-पंचेंद्रि छेदन | डकोय-डख अन्नत्थयाइ बारस, आगारा एवमाइया चउरो // अगणिपणिंदि छिंदण, बोही खोभाइ डकोय ॥५५॥दार 981698510865MUSIVEShuvanepaalystessetseiivdsViPEverest // 50 // Jain Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org.