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________________ - PMVAANVARGatewD/ weets/Res/are/caree/cna/car/notictoresmistiaWAS / विस्तारार्थः-गमनागमनथी उपना जे पाप ते खपाववाने अर्थे शरियावहि प्रथम पमिकमवी ते प्रथम निमित्त जाणवु. तथा श्री तीर्थकरने बंदणवत्तियादि ब निमितें काउस्सग्ग करवो, जेम के प्रथम वंदणवत्तिश्राए एटले श्रीजिनराजने वांदवाथी जे लान थाय, ते काउस्सग्गमां मुजने लान था. बीजो पूअणवत्तियाए एटले केशर चंदनादिक धूप प्रमुखें परमेश्वरने पूजवाथी जे | खान्न थाय, ते मुजने कानस्सग्गमा लान था. बीजो सक्कार वत्तिाए एटले सत्कार ते श्री जिनेश्वरने बानरणादि चढाववाथी जे लान थाय, ते मुजने काउस्सग्गमा लान था. चौथो सम्माणवत्तियाए एटले सन्मान ते श्रीजिनना स्तवनगुण कहेवाथीजे लान थाय, ते मझने काउस्सग्गमा लान था, पांचमो बोहिलान वत्तियाए एटले आगले नवे समकेतनो लान्न थाय, ते निमित्तें कालस्सग करूं. हुं निरुवसग्ग एटले निरुपसर्ग ते जन्म जरा मरणादि उपसर्ग टालवा निमित्ते कानस्सग्ग करूं. ए ब निमित्त अने एक प्रथम कर्वा एवं सात थयां. तथा आठमुं प्रवचनना अधिष्ठायक सुर एटले देवता तेने स्मरवाने अर्थे एक नवकारनो काउस्सग्ग devotio/teapedaMS/RADE For Personal Private Use Only
SR No.004260
Book TitleChaityavandanadi Bhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai kakalbhai
PublisherBalabhai kakalbhai
Publication Year1912
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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