________________ ज्ञाताधर्मकथांग का रचनाकाल,परिचय एवं नामकरण 25 15. पन्ने 103 साईज 27-11-15-56 ग्रन्थाङ्क 5334 लेखनकाल १८वीं - शती है। 16. मूल एवं टब्बा, भाषा प्राकृत एवं मरुगुर्जुर पन्ने 315 साईज 26-13-6-44 ग्रन्थाङ्क 5334 लेखनकाल वि० सं० 1923 है।२ 17. पन्ने 186 साईज 26-11-11-40 ग्रन्थाङ्क १६वें अध्ययन तक, लेखनकाल १७वीं शती है।३ 18. पन्ने 19, साईज 28-13-8-32 दूसरा अध्ययन मात्र, लेखनकाल २०वीं शती है। 19. ज्ञाताधर्मकथांग की वृत्ति आचार्य अभयदेव, भाषा संस्कृत, पन्ने 75, साईज 26-11-15-64, ग्रन्थाङ्क 3700, लेखनकाल १६वीं शती है।५ 20. पन्ने 69 साईज 27-12-15-60 ग्रन्थाङ्क 4000 लेखनकाल 17 वी शती है।६ 21. पन्ने 86, साईज 26-10-15-48, ग्रन्थाङ्क 4000, लेखनकाल 16 वीं शती है। 22. पन्ने 56, साईज 35-15-19-65, ग्रन्थाङ्क 4000, लेखनकाल 16 वीं . शती है।८ . 23. पन्ने 93, साईज 34-14-13-47, ग्रन्थाङ्क 3700, लेखनकाल वि०सं० 1671 का है। . 24. पन्ने 87, साईज 33-13-13-57, ग्रन्थाङ्क 3700, लेखनकाल वि०सं० . 1673 का है।१० 25. पन्ने 87, साईज 33-13-13-57, ग्रन्थाङ्क 3700, लेखनकाल वि०सं० ... 1675-80 का है।११ 1. तपागच्छ भण्डार की प्रति-३१. 2. डूंगरजी यति के भण्डार की प्रति-४८८.. 3. वही-३३७. 4. लोकागच्छ, 31. 5. डूंगर जी यति भण्डार, 25. 6. तपागच्छ, 747. 7. डूंगर जी यति, 1112. 8. तपागच्छ, 648. 9. थारुशाह, 167. 10. वही, 287. 11. वही, 285. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org