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________________ 26 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन 26. पन्ने 85, साईज 34-14-13-60, ग्रन्थाङ्क 3700, लेखनकाल वि०सं० . 1675-80 है।१ 27. पन्ने 93, साईज 26-11-15-50, ग्रन्थाङ्क 3800, लेखनकाल वि० सं० 1700 का है।२ ज्ञाताधर्मकथांग के प्रकाशित संस्करण ज्ञाताधर्मकथांग के प्रकाशित संस्करणों का विवरण इस प्रकार है:अभयदेवकृत वृत्ति सहित आगमोदय समिति, बम्बई सन् 1961, आगम संग्रह कलकत्ता, सन् 1976 सिद्धचक्र साहित्य प्रचारक समिति, बम्बई, सन् 1951-1952 / 2. गुजराती छायानुवाद- पूंजाभाई जैन ग्रन्थमाला, अहमदाबाद सन् 1931 / / 3. हिन्दी अनुवाद- मुनि प्यारचन्द, जैनोदय पुस्तक प्रकाशक समिति, रतलाम, वि०सं० 1994 / 4. संस्कृत व्याख्या व उसके हिन्दी-गुजराती अनुवाद सहित, मुनि घासीलाल जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, सन् 1963 / / 5. हिन्दी अनुवाद सहित, अमोलक ऋषि, हैदराबाद, वि०सं० 2946 / 6. गुजराती अनुवाद सहित (अध्ययन 1-8) जेठालाल, जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर वि०सं० 1994 / 7. ज्ञाताधर्मकथा, मधुकरमुनि, हजारीमल स्मृति ग्रन्थमाला, ब्यावर। 8. ज्ञाताधर्मकथा, पं० शोभाचन्द भारिल्ल, सेठिया जैन ग्रन्थमाला, बीकानेर। ज्ञाताधर्मकथा का व्याख्या साहित्य ज्ञाताधर्मकथा के व्याख्या साहित्य में अभयदेवविहित वृत्तियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसका जो विवरण प्राप्त होता है उसके अनुसार यह आगमोदय समिति, मेहेसाणा से सन् 1919 में प्रकाशित है जिसमें शब्दार्थ की प्रधानता है। इसके प्रथम श्रुतस्कन्ध में ज्ञाता और धर्मकथा का अर्थ समझाकर 19 उदाहरणरूप धर्मकथा 1. थारुशाह, 166. अ. डूंगर जी यति 255. २ब. जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार जैसलमेर, हस्तलिखित पत्रों का सूची पत्र भाग-२, पृ. 12-14. 3. दोशी, बेचरदास: जैन आगम साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-१, पृ०-२५०. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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