________________ 24 . ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन 6. पन्ने 104 साईज 26-10-15-40 ग्रन्थाङ्क 5500 लेखनकाल 17 वीं शती है। 7. पन्ने 154 साईज 28-12-13-40 ग्रन्थाङ्क 5534 लेखनकाल 17 वी शती है। 8. पन्ने 107 साईज 34-14-13-68 ग्रन्थाङ्क 5464. लेखनकाल वि० सं० 1672 है। 9. पन्ने 133 साईज 32-13-13-48 ग्रन्थाङ्क 4954 लेखनकाल 1675 है।४ 10. पन्ने 188, साईज 33-15-13-56 ग्रन्थाङ्क 495.4 लेखनकाल वि०सं० 1675-80 है।५ 11. पन्ने 109 साईज 34-14-13-64 ग्रन्थाङ्क 5464 लेखनकाल वि०सं० 1675-80 है।६ 12. पन्ने 112 साईज 33-13-13-60 ग्रन्थाङ्क 5464 लेखनकाल वि०सं० 1675-80 / 7 13. लेखक सुधर्मा स्वामी मूलग्रन्थ एवं टब्बार्थ, प्राकृत एवं मरुगुर्जर, 409 पन्ने, साईज 27-12-9-37 संमग्रग्रन्थ 13900, लेखनकाल वि० सं० 1696-1700 टब्बार्थ के रचनाकार कनकसुन्दर विद्यारत्न के शिष्य थे। 14. लेखक सुधर्मा स्वामी, मूल ग्रन्थ, प्राकृत भाषा में निबद्ध, पन्ने 310 साईज 26-11-19-46 ग्रन्थाङ्क 18200, लेखनकाल वि०सं० 1786 है।९ 1, लोकागच्छ भण्डार की प्रति-१२८. 2. तपागच्छ भण्डार की प्रति-६५. 3. थारुशाह भण्डार की प्रति-१६४. 4. वही-२८४. 5. वही-१६५. 6. वही-१६८. 7. वही-२६८. 8. लोकागच्छ भण्डार की प्रति-३०. 9. तपागच्छ भण्डार की प्रति-३२. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org