________________ ज्ञाताधर्मकथांग का रचनाकाल,परिचय एवं नामकरण 23 बीकानेर प्रति, आगम संस्थान संग्रहालय, संस्थान ग्रन्थ संख्या 405 है। 3. ज्ञाताधर्मकथांग- मूल, पत्र संख्या 202, आगम,अहिंसा, समता एवं प्राकृत शोध संस्थान संग्रहालय, ग्रन्थाङ्क 5500, संस्था ग्रन्थ संख्या 406 है। 4. ज्ञाताधर्मकथांग- मूल, पत्र संख्या 121, आगम,अहिंसा, समता एवं प्राकृत __ शोध संस्थान संग्रहालय, संस्थान ग्रन्थ संख्या 407 है। 5. ज्ञाताधर्मकथांग- मूल पत्र संख्या 209, आगम,अहिंसा, समता एवं प्राकृत शोध संस्थान संग्रहालय, ग्रन्थाङ्क 5200, संस्थान ग्रन्थ संख्या 408 है। इसके अतिरिक्त जैसलमेर किले में स्थित पाँच हस्तलिखित ग्रन्थ भण्डारों को श्री जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार में विलीन कर दिये गये हैं उनमें ज्ञाताधर्मकथांग की जो हस्तलिखित प्रतियाँ प्राप्त हुई हैं उनका परिचय इस प्रकार है. 1. ज्ञाताधर्मकथांग- सुधर्माकृत मूल ग्रन्थ- प्राकृत भाषा पन्ने- 106, 27-11-15-56 लम्बाई चौड़ाई पंक्ति अक्षर समग्र ग्रन्थ 5400, प्रति का लेखन काल 17 वीं शती। 2. वही, पन्ने 129, 27-12-13-40 ग्रन्थाङ्क 5400 लेखनकाल 16 वीं शती है।२ . 3.. . वही, पन्ने 236, साईज 28-12-11-38, ग्रन्थाङ्क 5375 लेखनकाल 16 ... वीं शती है।३ 4. वही, पन्ने 99 साईज 27-11-15-56 ग्रन्थाङ्क 5485, लेखनकाल 17 वीं शती है। ' 5. वही, पन्ने 131 साईज 26-11-13-42 ग्रन्थाङ्क 5485 लेखनकाल 17 .. क शती है।५ 1. डूंगरजी यति के भण्डार की प्रति 256, जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार जैसलमेर, सूचीपत्र-1, पृ.१२-१४. 2. लोकागच्छ भण्डार की प्रति-२९. 3. लोकागच्छ भण्डार की प्रति-२८. 4. तपागच्छ भण्डार की प्रति-३३. 5. डूंगरजी यति के भण्डार की प्रति-३६. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org