________________ प्राकृत आगम परम्परा एवं ज्ञाताधर्मकथांग 13 देवेन्द्रोपपात ध्यानविभक्ति उत्थानश्रुत मरणविभक्ति नागपरितापनिका आत्मविशौधि निरयावलिका वीतरागश्रुत कल्पिका संलेखना श्रुत कल्पावतंसिका विहारकल्प चरणविधि पुष्पचूलिका आतुर-प्रत्याख्यान वृष्णिदशा महाप्रत्याख्यान तत्वार्थसूत्र-वृत्ति में दिगम्बर मतानुसार आगमों का वर्गीकरण इस प्रकार है।१ पुष्पिका आगम . अंग प्रविष्ट आचारांग सूत्रकृतांग स्थानांग. समवायांग व्याख्याप्रज्ञप्ति ज्ञाताधर्मकथा उपासकदशा अन्तकृत्दशा अनुत्तरोपातिकदशा प्रश्नव्याकरण विपाकसूत्र दृष्टिवाद अंग बाह्य सामायिक चतुर्विंशतिस्तव वन्दना प्रतिक्रमण वैनयिक कृतिकर्म दशवैकालिक उत्तराध्ययन कल्प-व्यवहार कल्पाकल्प महाकल्प पुंडरीक महापुंडरीक अशीतिका सूत प्रथमानुयोग परिकर्म चन्द्रप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति द्वीपसारगप्रज्ञप्ति व्याख्याप्रज्ञप्ति पूर्वमत उत्पाद अग्रायणीय वीर्यानुप्रवाद अस्तिनास्तिप्रवाद ज्ञानप्रवाद सत्यप्रवाद चूलिका जलगता स्थलगता मायागता आकाशगता रूपगता 1. तत्त्वार्थ-भाष्य, 1/20 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org