________________ 168 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन . इस प्रकार कथाओं में भारतीय समाज के सांस्कृतिक मूल्यों एवं सभ्यता का यथार्थ ज्ञान प्राप्त होता है। ज्ञाताधर्म में जन साधारण से लेकर तीर्थंकर, गौतम गणधर राजा, महाराजा, रानी-महारानी, राजपुत्र, अमात्य, मंत्री, पुरोहित आदि के चरित्र-चित्रण के विस्तार में सांस्कृतिक विरासत छिपी हुई है। इन कहानियों में वन-उपवन, द्वीप, पर्वत, नदी आदि भौगोलिक प्रसंग भी यथेष्ठ ज्ञान कराते हैं। शिल्पकला वर्णन में वैज्ञानिक पक्ष भी समाविष्ट हैं। इसकी प्रकृति में क्रियाशीलता और वातावरण में सजीवता है। इस प्रकार इस ज्ञाताधर्मकथा में जीवन दर्शन एवं संस्कृति के विविध पक्षों का समावेश देखा जा सकता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org