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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 163 नाटकों में शिल्प, कला, ज्ञान, विद्या, योग एवं कर्म समाहित होने पर ही उनका सौन्दर्य रंगमंच के माध्यम से जनता के समक्ष बखूबी प्रस्तुत होता है। युद्धकला युद्ध को भी 72 कलाओं में एक कला माना गया है। इसमें सेना का संचालन, मोर्चा, व्यूह-रचना, कुश्ती, लाठी, तलवार, मुष्ठी, धनुष-बाण आदि का समावेश है। चित्रकला प्राचीनकाल में चित्रकला अपने भरपूर यौवन पर थी। चित्रकार भूमि पर हाव-भाव, विलास और शृंगार से युक्त प्रस्तुति करते थे। कोई चित्रकार तो ऐसे होते थे जो किसी वृक्ष, मानव या पशु का एक अंग देखकर ही सम्पूर्ण चित्र बना देते थे। जैसे- जाली में से मल्ली के अंगूठे को देखकर चित्रकार ने हूबहू उसका चित्र अंकित कर दिया था।२ चित्रकला में भित्तिचित्र, फलक चित्र एवं पटचित्र मुख्य थे। लेखनकला लेखनकला के अन्तर्गत पुस्तक, पत्र, दावात, स्याही, कलम, अक्षर, धार्मिक लेख आदि के प्रमाण प्राप्त होते हैं। शत्रुओं के विरुद्ध राजदूतों के माध्यम से पत्रों के भेजे जाने का उल्लेख ज्ञाताधर्म में प्राप्त होता है।३ जैन ग्रन्थों में 18 प्रकार की लिपियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है। गणितकला बहत्तर कलाओं में गणित को एक कला मानकर एक से एक करोड़ तक . की गिनती, एक अणु से एक योजन तक का माप, ज्यामिति एवं सम-विषम संख्याओं का उल्लेख प्राप्त होता है। हस्तकला एवं लेप कर्म - मिट्टी, लकड़ी आदि के खिलौने बनाने के कार्य को हस्तकर्म कहा गया है।४ ज्ञाताधर्म के तेरहवें अध्ययन में बर्तनों पर लेप करने का उल्लेख भी प्राप्त होता है।५ 1. ज्ञाताधर्मकथांग 1/99. 3. वही, 16/180. 5. वही; 13/14. 2. 4. वही, 8/95. वही, 1/99. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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