________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 159 पाक के तेल का उल्लेख प्राप्त होता है। खाण्ड उद्योग में गन्ने को कोल्हू में पेड़कर शक्कर बनाना और उसे बिक्री हेत् बाजार में ले जाने का वर्णन है।२ प्रसाधन उद्योग उस समय की विलासंप्रियता का द्योतक है। ज्ञाताधर्म में चन्दन, चम्पा, इलायची, जूही, कस्तूरी, केसर आदि से युक्त वस्तुओं का विवरण प्राप्त होता है।३ चित्र उद्योग में दीवारों पर, छतों पर लताओं, पुष्पों के चित्र अंकित कराये जाने का उल्लेख मिलता है। रंगों के रूप में काला, हरा, लाल, नीला, पीला आदि रंगों के प्रयोग वस्त्रों के लिये किये जाते थे।५ मद्य उद्योग में मद्य के निर्माण एवं विशेष अवसरों पर जनता द्वारा मद्यपान करने का वर्णन है। वास्तुकला के अन्तर्गत नगर की संरचना, दुर्गीकरण, परिखा, गुफा, देवालय, बाजार, सभास्थल, मन्दिर, आश्रम, प्याऊ, स्तूप, बावड़ियाँ आदि निर्मित किये जाते थे।६ पशुपालन में दूध, कृषि, यातायात, मांस, सवारी एवं बोझा ढोने में पशुओं का प्रयोग होता था। गायें एवं बकरियां पालतू पशु थे।८ मयूर व कुक्कुट पालन का भी रिवाज था, ऐसा प्रतीत होता है। वैश्य या व्यापारी आगमों में दो प्रकार के व्यापारियों का उल्लेख है। प्रथम वे जो एक स्थान पर रहकर वणिक, गाथापति या श्रेष्ठी नाम प्राप्त कर व्यापार करते थे। ये एक निश्चित स्थान पर बैठकर क्रय-विक्रय करते थे। द्वितीय वे जो अनेक व्यक्तियों को साथ लेकर अन्य शहरों में जाकर व्यापार करनेवाले सार्थवाह कहलाते थे। ज्ञाताधर्म में इनकी 18 श्रेणियाँ बतायी गयीं हैं। स्त्रियाँ भी व्यापार करती थीं।१० व्यवसायिक स्थल - व्यापारी अपना व्यवसाय शहर के राजमार्गों, चौराहों, तिराहों एवं बाजार विशेषों में करते थे। कहीं-कहीं पर यह भी उल्लेख है कि एक चस्तु देकर दूसरे शहर * से दूसरी वस्तु ले आते थे। अर्थात् वस्तु विनिमय रूप में भी कार्य होता था।११ * यातायात के साधन . प्राचीन समय में व्यापार हेतु जल एवं सड़क दोनो मार्ग उपलब्ध थे। राजमार्ग 1. ज्ञाताधर्मकथा 1/42. 2. वही, 1/17-20. . . . 3. वही, 1/1/17. 4. वही, 1/17. .. . 5. वही, 1/30. 6. प्रश्न व्याकरण 13. 7. ज्ञाताधर्मकथांग 1/15. 8. वही, 2/6. 9. वही, 2/6. 10. वही, 2 / 8. 11. ज्ञाताधर्मकथांग 17/10. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org