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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 155 तो कभी कारावास की सजा दी जाती थी। परन्तु कभी उत्सव एवं राज्याभिषेक के समय सजा माफ करने का भी उल्लेख प्राप्त होता है।२ सैन्य-व्यवस्था ___ ज्ञाताधर्म में सैन्य-व्यवस्था के रूप में सेना, सेनापति, सैनिक आदि के प्रसंग देखने को मिलते हैं। सेना के अश्व, गज, रथ एवं पैदल ये चार अंग होने के कारण इन्हें चतुरंगिणी सेना कहा जाता था।३ अस्त्र-शस्त्र ज्ञाताधर्म से ज्ञात होता है कि पुरातनकाल में धनुष, बाण, तलवार, बछी, भाले, ढाल, चक्र, गदा, अवरोध, चाबुक, कैंची, हल, लाठी आदि अस्त्र-शस्त्रों का प्रचलन था। 72 कलाओं में धनुर्विद्या को एक कला माना गया है।५ सैनिक एवं रक्षक भाले का प्रयोग मारने एवं सुरक्षा के रूप में करते थे। युद्ध में वाद्यों की ध्वनि, ध्वज पताकाएँ एवं रथ पर विशेष चिह्न अंकित रहते थे जो रथ पर आरूढ़ व्यक्ति की पहचान कराते थे।६ संदेशवाहक ___ संदेशवाहक का कार्य दूत के रूप में संदेश पहुँचाना होता था। द्रुपद राजा ने द्रौपदी के स्वयंवर हेतु सभी राजाओं के पास दूत भिजवाए थे। युद्ध नीति .. युद्ध में निपुण व्यक्ति साम-नीति, भेद-नीति, उपप्रदान-नीति के ज्ञाता होते थे। युद्ध में कलह (वाग्युद्ध), युद्ध (शस्त्रों का समर) का उल्लेख प्राप्त होता है। व्यय . राज्य का सफल संचालन करने हेतु राजा को शासन-व्यवस्था, सैन्य-व्यवस्था, न्याय एवं सुरक्षा और जनकल्याण के कार्यों पर अत्यधिक व्यय करना पड़ता था। , 1. ज्ञाताधर्मकथांग, 2/33, 2/30, 8/106, 8/90, 2/58, 1/78. 2. वही, 1/90 3. वही, 8/128, 1/44. 4. वही, 18/22. 5. वही, 1/99. 6. वही, 1/44. 7. वही, 16/86. 8. वही, 16/129. 9. वही, 1/24, 1/35, 2/31, 18/39. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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