________________ 150 . ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन का उल्लेख है।१ विद्वानों का मत है इन तीस महास्वप्नों में से एक भी स्वप्न दृष्टिगत होने पर द्रष्टा को आरोग्य, दीर्घायु, कल्याण और महान सुखों की प्राप्ति होती है। मनोरञ्जन प्राचीन समय में मनोरञ्जन के अनेक साधनों का उल्लेख हमें जैन आगमों में प्राप्त होता है। जिनमें मनोरञ्जन करानेवाली दासियाँ, कन्दुक एवं जल क्रीड़ा द्वारा मन बहलाना; उपवन एवं बाग में टहलना, स्त्री एवं पुरुष द्वारा चोपड़ खेलना पुरुषों द्वारा मयूरों को नृत्य कराना आदि मुख्य है।३ / / उद्यान ___ जैन साहित्य में जीर्ण उद्यान (जो राजगृह के बाहर स्थित था), सुभूमिभाग उद्यान (जो चम्पानगरी के बाहर स्थित था) आदि का वर्णन प्राप्त होता है। विभिन्न प्रकार के फूल के पेड़ों से शोभायमान इन उद्यानों में अनेक श्रमण. अपने शिष्यों सहित आकर ठहरते थे एवं नगर के व्यक्ति भी मनोरञ्जन हेतु इनका उपयोग करते थे। नृत्य एवं नाटक ज्ञाताधर्मकथा में बहत्तर कलाओं में संगीत, नृत्य एवं नाटक का भी समावेश है। यह संगीत गद्य एवं पद्यमय गेय, मनोहर सप्तस्वर, सुखान्त, ग्यारह अलंकारों एवं आठ गुणों से युक्त होता था।५ आगमों में बत्तीस प्रकार के नाटकों के उल्लेख मिलते हैं। नाटक करते समय स्त्री एवं पुरुष विभिन्न आभूषणों, मांगलिक चिह्नों एवं उपकरणों से सुसज्जित होते थे। ज्ञाताधर्म में उल्लेख आया है कि गुणशील उद्यान में दुर्दुर नामक देव ने 32 प्रकार के नाटक दिखाए थे। आहार जैन साहित्य में अशन, पान, खादिम, स्वादिम आदि चार प्रकार के भोजन का उल्लेख है। तत्कालीन समाज में भोज्य पदार्थों के अन्तर्गत अनाज, सब्जी, दूध, 1. ज्ञाताधर्मकथांग, 1/36. 2. वही, 1/38. 3. वही, 14/7, 1/45, 1/44, 3/12, 3/22, 25. 4. वही, 2/2, 3/2, 5/3, 2/3. 5. राजप्रश्नीय सूत्र 1/4/1. 6. वही, सूत्र 76. 7. ज्ञाताधर्मकथांग, 13/4. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org