________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 149 स्त्रियों का वर्णन भी है जिन्होंने गृह त्याग कर मुण्डित होकर जैन दीक्षा ग्रहण कर कुल, शील तथा आचरण को सुरक्षित रखा था। साथ ही कुछ ऐसी स्त्रियों का भी वर्णन प्राप्त होता है जिन्हें दुराचरण के कारण मारा-पीटा जाता था।२ विवाह जैनागम साहित्य के अध्ययन से यह विदित होता है कि विवाह प्राय: माता-पिता अपनी इच्छा से तय करते थे। मेघकुमार का विवाह उसके माता-पिता ने शुभ मुहूर्त तथा शुभ-तिथि को करवाया था।३ स्वयंवर विवाह में कन्या स्वयं अपने पति का वरण करती थी। फिर वर के साथ कन्या का विवाह होता था।५ कहीं-कहीं पर कन्या को पालकी में बैठाकर परिजन स्वयं लड़के को सौंप आते थे।६ फिर सम्बन्धियों एवं मित्रों को भोजन कराया जाता और ससम्मान विदाई दी जाती थी। दास प्रथा __पुरातन काल में दास-दासी प्रथा का प्रचलन था। सम्पन्न एवं धनाढ्य गृहस्थ अपने यहाँ दास-दासियों को रखते थे। कई स्थानों पर विवाह के अवसर पर दास-दासी भेंट करने का रिवाज भी था।९। गणिकाएँ . ज्ञाताधर्म में अनेक नृत्य, गीत एवं रति क्रिया से अपना जीविकोपार्जन करने वाली स्त्रियों का वर्णन मिलता है। ये स्त्रियाँ नगर की शोभा मानी जाती थीं एवं राजा विभिन्न अवसरों पर इनके साथ नगर भ्रमण करते थे।१० ज्ञाताधर्म से यह भी ज्ञात होता है कि ये गणिकाएँ चौसठ कलाओं में निपुण, उनतीस प्रकार की विशेष क्रीड़ा करनेवाली, इक्कीस प्रकार के रतिगुणों में निपुण, पुरुष के बत्तीस उपचारों में प्रवीण एवं अट्ठारह भाषा की जानकार होती थीं।११ स्वप्न ज्ञाताधर्मकथा के अनुसार 72 स्वप्न हैं जिसमें 42 स्वप्न और 30 महास्वप्नों - 1. ज्ञाताधर्मकथांग, 2, श्रुतस्कन्ध, 1/15. 2. वही, 16/27. 3. वही, 1/104. 4. वही, 16/108. 5. वही, 16/45. .6. वही, 14/22. 7. वही, 16/46. 8. वही, 2/21. 9. वही, 16/128. 10. वही, 16/94. 11. वही, 3/6. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org