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________________ 142 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन एवं अजातशत्रु।१ जीवन के अन्तिम दिनों में अजातशत्रु/कूणिक ने राजा श्रेणिक को कारागाह में डाल दिया था। राजा कूणिक कूणिक को अजातशत्रु भी कहा जाता है जो मगध का राजा था। स्वभाव से कणिक करूणाशील, मर्यादित, क्षेमकर एवं क्षेमधर था। इसी कारण जनमानस द्वारा वह सम्मानित एवं पूजित था। परन्तु कर्मप्रकृति प्रदत्त वह क्रोधी था। उसने अपने पिता बिम्बसार को दारुण दुःख दिया था। धारिणी नामक उसकी रानी थी।५ राजा कृणिक ने अपने सहोदर भाईयों के गले से हार एवं सेचनक हाथी को छीनने के लिए अपने नाना चेटक से भयंकर युद्ध किया था। कोणिक चेटक युद्ध इतिहास प्रसिद्ध है।६ भौगोलिक परिचय. __ज्ञाताधर्म की कथाओं में भौगोलिक परिवेश का भी विवेचन है। इसमें विविध देशों, प्रदेशों, राजधानियों, नगरों, उपनगरों, ग्रामों, बन्दरगाहों, द्वीप, क्षेत्र, पर्वत, नदियों : आदि का भी वर्णन है। ज्ञाताधर्म की कथाओं में प्राकृतिक एवं राजनैतिक दोनों ही प्रकार की सामग्रियों का समावेश है जिनकी संक्षिप्त जानकारी’ इस प्रकार दी जा रही है चम्पानगरी अति समृद्धशाली एवं विविध राजपरिषदों से युक्त थी। चम्पानगरी का ही एक विशेष उपनगर राजगृह था जिसका इस ग्रन्थ में अनेक स्थलों पर विवेचन हुआ है। यह उपनगर विविध प्रकार के श्रृंगाटक आकार के मार्ग वाला, तिराहे, चौराहे, चतुर्मुख, पथ एवं महापथ आदि से सुशोभित था। क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका विस्तार उत्तर-पूर्व दिशा में फैला हुआ था जो विविध प्रकार के उद्यानों, तोरण द्वारों एवं नाना प्रकार की वन सम्पदाओं से युक्त था। मूलत: कथाकार ने चम्पानगरी 1. ज्ञाताधर्मकथांग, 1/102. 2. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, पृ०-५०९. 3. औपपातिक सूत्र 1/11. 4. भगवान महावीर और उनका चिन्तन, डॉ. भागचन्द्र भास्कर, पृ० 106. 5. औपपातिक सूत्र, 1/12. 6. अन्तगडदशांग, पृ० 186-187. 7. ज्ञाताधर्मकथांग, 1/109. 8. वही, 2/2-3. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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