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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 141 गणधर गौतम गौतम गणधर का पूरा नाम इन्द्रभूति गौतम था। इनका उल्लेख विपाकसूत्र में अनेक स्थानों पर मिलता है। इनकी गणना महावीर स्वामी के प्रथम शिष्य के रूप में की जाती है। सुधर्मा स्वामी सुधर्मा स्वामी भगवान महावीर के पाँचवें गणधर एवं जम्बूस्वामी के गुरु थे। जम्बू स्वामी सुधर्मा स्वामी के शिष्य आर्य जम्बू थे। जैन आगमों में अनेक स्थानों पर इनका उल्लेख आया है।३. जम्बू राजगृह के समृद्ध सेठ के पुत्र थे। इनके पिता ऋषभदत्त एवं माता धारिणी थीं। ये काश्यप गोत्रीय ऊँचे शरीर एवं गौर वर्ण के थे।५ ज्ञाताधर्मकथांग में अरिष्टनेमि का भी उल्लेख मिलता है।६ जैन आगमों के अन्तकृत्दशा, अनुत्त पपातिक एवं ज्ञाताधर्मकथांग में कृष्ण का उल्लेख भी प्राप्त होता है जो अरिष्टनेमि के चचेरे भाई थे।७ श्रेणिक मगध के प्रारम्भिक नरेशों में राजा श्रेणिक का महत्त्वपूर्ण स्थान है। श्रेणिक का विवाह वैशाली नरेश की पुत्री चेलना के साथ सम्पन्न हुआ था। इनकी पट्टरानी का नाम धारिणी९ था। राजा श्रेणिक एक कुशल प्रशासक थे, साथ ही भगवान महावीर के अनन्य अनुयायियों में इनकी गिनती होती थी। इन्होंने कई दीक्षा ग्रहण करनेवालो को सहयोग दिया था।१° श्रेणिक के तीन पुत्र थे- अभयकुमार, मेघकुमार 1. विपाक सूत्र 1/13. / 2. वही, 8/5. 3. स्थानांग सूत्र, 1/1/1, विपाकसूत्र, 1/1/3. 4. अनुत्ररोपपातिकदशा, पृ० 56. 5. ज्ञाताधर्मकथांग 1/6. 6. वही, 5/7. 7. अनतकृतदशा 8/13, ज्ञाताधर्मकथांग 5/5. 8. डॉ. भागचन्द्र भास्कर, भगवान् महावीर और उनका चिन्तन, पृ० 105. 9. ज्ञाताधर्मकथांग 1/16. 10. डॉ. भागचन्द्र भास्कर भगवान महावीर और उनका चिन्तन, पृ०. 106. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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