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________________ । १०९ छ) अपभ्रंश साहित्य की समृद्धि में सभी परम्पराओं का योग ज) अपभ्रंश साहित्य में जनवादी स्वर झ) अपभ्रंश के प्रति बढ़ता सम्मान ञ) हिन्दी का प्राचीन स्वरूप है, अपभ्रंश . १०० प) प्राकृत, अपभ्रंश और हिन्दी : अन्तः सम्बन्धं . १०२ ३२. अपभ्रंश भाषा के उपलब्ध प्रमुख ग्रन्थ - ...१०७ क) चरित काव्य, ख) प्रेमाख्यानक काव्य, ग) कथा साहित्य, घ) रास काव्य, ङ) खण्ड काव्य ३३. अपभ्रंश दोहों के उदाहरण ३४. अपभ्रंश गद्य का उदाहरण ११० ३५. संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि आठ भाषाओं से युक्त . चन्द्रप्रभस्वामि स्तवन ३६. निष्कर्ष ३७. प्राकृत निबन्ध - . क) मनोरमं उज्जाणं ख) तित्थयर-महावीर-चरियं ३८. प्राकृत भाषा में अंकों की गणना (गिनती) . ३९. क्रमवाचक संख्यावाची शब्द ४०. प्राकृत की प्रमुख सूक्तियाँ क) दसवेआलियं से, ख) समणसुत्तं से, ग) वज्जालग्ग से, . घ) अपभ्रंश पउमचरिउ से ४१. प्राकृत भाषा के विकास हेतु केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत १३८ छह सुझाव ४२. सहायक ग्रन्थ सूची *** xii Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004257
Book TitlePrakrit Bhasha Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPhoolchand Jain Premi
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2013
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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