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________________ ५. महाराष्ट्री प्राकृत क) भाषागत विशेषतायें ख) महाराष्ट्री प्राकृत में रचित साहित्य ग) प्राकृत काव्य साहित्य १. शास्त्रीय महाकाव्य, २. खण्डकाव्य, ३. चरितकाव्य, ४. गद्य-पद्य मिश्रित चरित काव्य, ५. चम्पूकाव्य, ६. मुक्तक काव्य, ७. रसेतर मुक्तक काव्य; घ) प्राकृत कथा साहित्य ङ) प्रमुख कथा ग्रन्थ च) महाराष्ट्री प्राकृत के गद्य का उदाहरण अमंगलिय पुरिसस्स कहा छ) महाराष्ट्री-गाथाओं के उदाहरण ६. पैशाची प्राकृत क) सामान्य विशेषतायें ख) पैशाची प्राकृत का उदाहरण ७. चूलिका पैशाची प्राकृत क) चूलिका की भाषागत सामान्य विशेषतायें ख) चूलिका पैशाची का उदाहरण - ८. अपभ्रंश भाषा क) अपभ्रंश का उद्भव और विकास ख) अवहट्ठ और अपभ्रंश ग) भाषा - विकास की सामान्य प्रक्रिया है, अपभ्रंश घ) भाषा विकास में देशी भाषायें और अपभ्रंश ङ) अपभ्रंश भाषा के भेद च) अपभ्रंश की सामान्य विशेषतायें Jain Education International xi For Personal & Private Use Only 1 ७४ ७५ ७६ ७६ ७७ ७८ ८१ ८३ ८६ .८६ ८७ ८८ ८८ ८९ ८९ ९० .९१ ९२ ९२ ९४ ९५ www.jainelibrary.org
SR No.004257
Book TitlePrakrit Bhasha Vimarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPhoolchand Jain Premi
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year2013
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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