SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 281 किदा तेसुं एगमेत्त-भेदो-पढमाणुओगो (छक्खंडागम) अणुओगो (सम.) सो भेदो वि समाणो। परियम्मे छक्खंडागमे विविह-वादाणं वण्णणं अत्थिा समवायंगे परियम्मस्स सत्त भेदा कदा- सिद्धसेणिया-परिकम्में, मणुस्ससेणियापरिकम्मे, पुटुसेणिया परिकम्मे, ओगाहण-सेणिया परिकम्मे, उवसंपज्ज, सेणियापरिकम्मे विप्पजह-सेणियापरिकम्मे, चुबआ-चुअ-सेणियापरिकम्मे। पुणो सिद्धसेणियापरिकम्मस्स, मणुस्ससेणिया परिकम्मकस्स चोद्दह भेदा रूकदा। पुटुसेणियाए चुआचुअ-सेणियापरिकम्मं पेरंत एक्कार सविहाइं। एच्चेयाई सत्त-परिकम्माइं ससमइयाइं, सत्त-आजीवियाई छ चउक्कणइयाइं सत्त तेरासियाई। एवामेव सपुव्वावरेण सत्त परिकम्माइं तेसीति भवंतीतिमक्खयाई। (पुत्तुत्त-वण्णणं जिणागमे) (i) सप्त आजीविगा (ii) छ?परियम्म-चदुक्कणयाइ .(iii) सत्ततेरासिगा। इमे सत्ते परियम्माइं पुव्वावर-भेयाणं तिरासियाइं। छक्खंडागमे चंदपण्णत्ती सूरपण्णत्ती-जंबू दीवपण्णत्ती-दीवसायरपण्णत्ती इमे पंच परियम्मे पण्णत्ते। (ख) सुत्ताइं - अट्टासी अहियारेसुं विहत्ता - समवायंगे पण्णत्तं- उजुगं (परिणया परिणय/परिणता परिणत) बहुभंगियं विपच्चइयं (विजय चप्रियं) अणंतरं परंपरं समाणं (समाणसं) संभिण्णं, आहच्चायं (अहव्वाय) सोवत्थिमं गंदावत्तं बहुलं पुट्ठापुटुं वियावत्तं एवंभूयं दुआवत्तं वत्तमाणप्पयं समभिरूढं सव्वओमदं पणास दुप्पडिगह। (i) इच्चेयाइं वावीसं सुत्ताइं छिण्णछेअणइआई ससमय सुत्तपरिवाडीए - ____(ii) इच्चेआई वावीसं सुत्ताइं अधिण्ण-छेयणइयाइं आजीविय - सुत्तपरिवाडीएं - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy