SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 173 उपासकदशांग में वर्णित 10 श्रावक : - उपासकदशांग में वर्णित 10 श्रावकों के नाम इस प्रकार हैं 18 - 2. 1. आनन्द, 4. सुरादेव, 7. सकडालपुत्र, 10. सालिहीपिता। ये दसों श्रावक भगवान महावीर की धर्मदेशना से प्रभावित होकर श्रावक धर्म स्वीकार कर लेते हैं और साधनामय जीवन जीने लगते हैं। साधनामय जीवन के अनुक्रम में इनके साथ जो विशेष घटना घटित होती है, उनका यहाँ संक्षेप में विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। 1. 2. कामदेव, 5. चुल्लशतक, 8. महाशतक, 3. चुलनीपिता, 6. कुंडकौलिक, 9. नन्दिनीपिता और आनन्द”– वाणिज्यग्राम का निवासी गाथापति आनन्द अपनी उग्र साधना के परिणामस्वरुप अवधि ज्ञान प्राप्त कर लेता है। भगवान महावीर के शिष्य गौतम और आनन्द में वार्तालाप होता है और आनन्द अपने अवधिज्ञान के संबंध में गौतम को बताता है। आनन्द का अवधिज्ञान अत्यंत विस्तृत था एवं गौतम के अनुसार गृहस्थ / श्रावक इतना विस्तृत अवधिज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है। आनन्द गौतम को इस मिथ्या आरोप के विरूद्ध पश्चाताप करने को कहता है। गौतम अपनी शंका महावीर के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और भगवान द्वारा इसका समाधान किया जाता है। परिणामस्वरुप गौतम पश्चाताप करते हैं। Jain Education International कामदेव20_ चम्पानगर के गाथापति कामदेव की साधना को देव द्वारा भंग करने का प्रयास। देवकृत उपसर्ग के रुप में पिशाचरुपी देव द्वारा कामदेव के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करना तथा तिर्यंचकृत उपसर्ग के रुप में हाथी और सर्प के द्वारा शरीर को कष्ट पहुँचाना। प्रत्येक स्थिति में कामदेव अपने धर्म पथ पर दृढ़ बना रहा। - , 3. चुलनीपिता" वाराणसी के गाथापति चुलनीपिता ने पुत्र हत्या के कार्य को समभाव पूर्वक सहन किया लेकिन मातृवध की धमकी से For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy