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सख्या
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चतुर्थ अध्याय ___लौकान्तिकानामष्यै सागरोपमाणि सर्वेषाम्।।42।। सूत्रार्थ - सब लौकान्तिकों की स्थिति आठ सागरोपम है।।42।।
वैमानिक देव नाम
(राजू) | सौधर्म-ऐशान | 2 | 11/
2 31 | 60 लाख काला, नीला,
(32+28) लाल, पीला, शुक्ल सानत्कुमार 2 | 11/
2 7 | 20 लाख काले बिना -माहेन्द्र
(12+8) शेष 4. ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर | 1 | 1/ 2 4 4 लाख
लाल, पीला लांतव-कापिष्ठ 1 | 1/ 2 2
| शुक्ल शुक्र-महाशुक्र | 1 | 1/2
40000, | नीला एवं
50000
शुक्ल
शतार-सहस्रार | 1 | 1/
2
1
6000
1700
शुक्ल
5284,96,700
19
|
शुक्ल
आनत-प्राणत | 2 | 1/2 आरण-अच्युत | 2 | 1/2 कल्पोपपन्न
126 संबंधी जोड़ कल्पातीत 9 ग्रैवेयक (3 अधो +
3 मध्य + | 3 ऊर्ध्व ग्रैवेयक) 9 अनुदिश 5 अनुत्तर कुल (कल्पोपपन्न + कल्पातीत)
309 (111+ 107+91)
शुक्ल
| शुक्ल 63 84,97,023.
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