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72 .
चतुर्थ अध्याय भवनवासी, व्यंतर, ज्योतिषी (भवनत्रिक)
देवों की लेश्याएँ
द्रव्य लेश्या
भाव लेश्या
6 प्रकार की
पर्याप्त अवस्था
अपर्याप्त अवस्था
-कृष्ण - नील
जघन्य पीत
- कापोत
पूर्वयोवीन्द्राः।।6।। सूत्रार्थ - प्रथम दो निकायों में दो-दो इन्द्र हैं।।6।।
इन्द्रों की व्यवस्था,
। प्रत्यकमप्रत्यकम
कुल इन्द्र
द
10
.
%3D10X2X2-40
|
38X2X2332
भवनवासी व्यंतर
ज्योतिषी | वैमानिक
%32
- इन्द्र प्रतीन्द्र मा एवं प्रतीन्द्र
(राजकुमार तुल्य)
2 . 2 8 2 2 .
(चन्द्रमा) + (सूर्य) शुरू के 4 स्वर्ग = 4 इन्द्र बीच के 8 स्वर्ग = 4 इन्द्र अंत के 4 स्वर्ग = 4 इन्द्र = 12x2 = 24
(इन्द्र +प्रतीन्द्र) चक्रवर्ती
मनुष्य
सिंह
तिर्यंच
कुल इन्द्र
* =
100
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