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चतुर्थ अध्याय
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लोक
निवास अधोलोक अधोलोक
| * असुरकुमार * राक्षसरत्नप्रभा पृथिवी/ रत्नप्रभा पृथ्वी के
| चार निकाय के देवों का निवास | निकाय भवनवासी व्यंतर लोक | * अधोलोक * अधोलोक * मध्यलोक | * ऊर्ध्व * मध्यलोक * मध्यलोक
| *चित्रा पृथिवी * सौधर्म स्थान
से 790 योजन| स्वर्ग के | पंक भाग में
ऊपर से 900 | प्रथम पटल
योजन तक है | के विमान से * शेष 9 प्रकार रत्नप्रभा पृथ्वी के
* तिर्यक् रूप | प्रारम्भ कर - रत्नप्रभा . खर भाग में
से घनोदधि । सर्वार्थसिद्धि पृथिवी के मध्यलोक
| वातवलय तक विमान तक खरभाग में * भवन भवनपुर है मध्यलोक और आवास
के पंक भाग में * शेष 7 प्रकार ।
* असुर कुमार * चित्रा पृथिवी पर | भवनों में द्वीप, पर्वत, समुद्र, * शेष 9 प्रकार देश, ग्राम, नगर.
गृहों के आँगन, - भवन,
रास्ता, गली, बाग, भवन पुर और वन आदि में आवासों में
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