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________________ 70 चतुर्थ अध्याय देवों के प्रकार (निकाय) नाम | वनवास व्यंतर ज्योतिषी यवमानिक स्वरूप जो भवनों में | जिनका नाना | जो ज्योतिर्मय | जो विमानों में निवास करते हैं। प्रकार के देशों में विमानों में निवास करते हैं| निवास है निवास करते हैं भेद . 10 8 5 12 (कल्पोपपन्न तक) भेदों देखिए सूत्रार्थ के नाम 10 11 12 1 प्रत्येक के 10 8810 सामान्य (त्रायस्त्रिंशव | (त्रायस्त्रिंशव | भेद(इन्द्र, लोकपाल को | लोकपाल को सामानिक छोड़कर शेष | छोड़कर शेष आदि) सभी) सभी), . 10 सामान्य भेद दृष्टांत राजा सामानिक पिता, गुरु, उपाध्याय त्रायस्त्रिंश मंत्री, पुरोहित पारिषद सभा सदस्य (मित्र, परिजन) आत्मरक्ष अंगरक्षक लोकपाल कोतवाल अनीक सात प्रकार की सेना प्रकीर्णक नगरवासी आभियोग्य हाथी - घोड़ा आदि वाहन किल्विषिक चाण्डालादिक दष्टात इन्द्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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