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________________ तृतीय अध्याय 1 पूर्वांग = 84,00,000 वर्ष |1 पूर्व = 84,00,000 पूर्वांग = 70,56,000 करोड़ वर्ष 3 प्रकार के पल्य उद्धार पल्य व्यवहार पल्य से असंख्यात कोटी नाम व्यवहार पत्य स्व- 2000 कोस, गोल गहरे गड्डे रूप में से प्रति 100 वर्ष में रोम निकालने जितने वर्ष कार्य आगे के 2 पल्य निकालने आदि के लिए सूत्र से अन्य रचनाएँ 1. विजयार्द्ध पर्वत 2. वृषभाचल पर्वत 3. गजदंत पर्वत सागर | अद्धा सागर = 10 कोड़ा कोड़ी x अद्धा पल्य 4. जम्बू 5. विदेह क्षेत्र नगरियाँ अ) वक्षार गिरि ब) विभंगा नदी स) 6 खण्ड 6. नाभिगिर 7. इष्वाकार पर्वत Jain Education International गुणा द्वीप - समुद्रों की गणना के लिए अद्धा पल्य उद्धार पल्य से असंख्यात गुणा 65 आयु, . कर्म स्थिति शेष सभी स्थानों की गणना के लिए सूत्र से अन्य विषय For Personal & Private Use Only 1. तीर्थंकरों की गणना. 2. त्रिकाल चौबीसी 3. तीन लोक के अकृत्रिम चैत्यालय 4. मध्यलोक के अकृत्रिम चैत्यालय www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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