SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 64 . तृतीय अध्याय नृस्थिती परावरे त्रिपल्योपमान्तर्मुहूर्ते।।38।। सूत्रार्थ-मनुष्यों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम और जघन्य अन्तर्मुहूर्त है।।38॥ तिर्यग्योनिजानाञ्च||39।। सूत्रार्थ - तिर्यंचों की स्थिति भी उतनी ही है।।39।। मनुष्य एवं तिर्यंच आयु जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त (श्वास का 18 वाँ भाग) स्वामी - लब्धि अपर्याप्तक 3 पल्य . (असंख्यात वर्ष) उत्कृष्ट भोगभूमिया तिर्यंचों की आयु - विशेष जीव उत्कृष्ट आयु जीव मृदु(शुद्ध)पृथ्वीकायिक/ 12000 वर्ष | तीन इन्द्रिय | 49 दिन कठोर पृथ्वीकायिक 22000 वर्ष | चार इन्द्रिय 6 मास जलकायिक |7000 वर्ष । |पंचेन्द्रिय जलचर 1 कोटि पूर्व वायुकायिक | 3000 वर्ष सरीसर्प रंगने वाले पशु| 9 पूर्वांग अग्निकायिक 3 दिन | 42000 वर्ष वनस्पतिकायिक | 10000 वर्ष | पक्षी 72000 वर्ष दो इन्द्रिय | 12 वर्ष चौपाये पशु 3 पल्य सभी की जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त है। सर्प For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy