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तृतीय अध्याय नृस्थिती परावरे त्रिपल्योपमान्तर्मुहूर्ते।।38।। सूत्रार्थ-मनुष्यों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम और जघन्य अन्तर्मुहूर्त है।।38॥
तिर्यग्योनिजानाञ्च||39।। सूत्रार्थ - तिर्यंचों की स्थिति भी उतनी ही है।।39।।
मनुष्य एवं तिर्यंच आयु
जघन्य
उत्कृष्ट
अंतर्मुहूर्त
(श्वास का 18 वाँ भाग) स्वामी - लब्धि अपर्याप्तक
3 पल्य . (असंख्यात वर्ष) उत्कृष्ट भोगभूमिया
तिर्यंचों की आयु - विशेष
जीव उत्कृष्ट आयु जीव मृदु(शुद्ध)पृथ्वीकायिक/ 12000 वर्ष | तीन इन्द्रिय | 49 दिन कठोर पृथ्वीकायिक 22000 वर्ष | चार इन्द्रिय 6 मास जलकायिक |7000 वर्ष ।
|पंचेन्द्रिय जलचर 1 कोटि पूर्व वायुकायिक | 3000 वर्ष सरीसर्प रंगने वाले पशु| 9 पूर्वांग अग्निकायिक 3 दिन
| 42000 वर्ष वनस्पतिकायिक | 10000 वर्ष | पक्षी 72000 वर्ष दो इन्द्रिय | 12 वर्ष चौपाये पशु 3 पल्य
सभी की जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त है।
सर्प
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