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________________ 56 पद्म 2 महापद्म 3 तिमिञ्छ | 4,000 4 के शरी 4,000 2,000 5 महा पुण्डरीक लम्बाई चौड़ाई गहराई कमल व्यास देवी (योजन में) (योजन में) (योजन में) (योजन में) 1,000 500 10 1 | (40 लाख ( 20 लाख (40,000 ( 4,000 मील) मील) मील) मील) 20 2 4 4 2 तृतीय अध्याय सरोवर 2,000 Jain Education International 1,000 2,000 40 2,000 40 1,000 20 श्री ही 6 पुण्डरीक 1,000 500 10 1 लक्ष्मी इन सरोवरों में रहने वाली देवियों की आयु एक पल्य की है। वे सामानिक एवं पारिषद जाति के देवों के साथ रहती हैं, जिनके छोटे कमल हैं। गङ्गासिन्धुरोहिद्रोहितास्याहरिद्धरिकान्तासीतासीतोदानारीनरकान्ता For Personal & Private Use Only the सुवर्णरूप्यकूलारक्तारक्तोदाः सरितस्तन्मध्यगाः || 2011 सूत्रार्थ - इन भरत आदि क्षेत्रों में से गंगा, सिन्धु, रोहित, रोहितास्या, हरित, हरिकान्ता, सीता, सीतोदा, नारी, नरकान्ता, सुवर्णकूला, रूप्यकूला, रक्ता और रक्तोदा नदियाँ बहती हैं || 201 . धृति कीर्ति बुद्धि द्वयोर्द्वयोः पूर्वाः पूर्वगाः । । 21 ।। सूत्रार्थ - दो-दो नदियों में से पहली पहली नदी पूर्व समुद्र को जाती है ।। 21 ।। शेषास्त्वपरगाः।।22। सूत्रार्थ - किन्तु शेष नदियाँ पश्चिम समुद्र को जाती हैं । । 22 ।। www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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