SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 31 द्वितीय अध्याय स्पर्शनरसनघ्राणचक्षुःश्रोत्राणि||19।। सूत्रार्थ - स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र - ये पाँच इन्द्रियाँ हैं।।19।। स्पर्शरसगन्धवर्णशब्दास्तदर्थाः।।20।। सूत्रार्थ - स्पर्शन, रस, गन्ध, वर्ण और शब्द - ये क्रम से उन इन्द्रियों के विषय हैं।।20।। श्रुतमनिन्द्रियस्य।।21।। सूत्रार्थ - श्रुत मन का विषय है।।21।। . इन्द्रियों और मन के विषय व आकार नाम | स्पर्शन रसना घाण चक्षु श्रोत्र । मन मन विषय 8 प्रकार | 5 प्रकार | 2 प्रकार | 5 प्रकार | 7 प्रकार श्रुतज्ञान का स्पर्श का रस | की गंध का वर्ण का शब्द के विषय भत पदार्थ आकार अनेक | खुरपा | तिल पुष्प मसूर दाल| यव की | आठ नाली | पंखुड़ियों का फूला कमल • संज्ञिनः समनस्काः ।।24|| सूत्रार्थ - मनवाले जीव संज्ञी होते हैं।।24।। संज्ञा शब्द के अनेक अर्थ | .. नाम ज्ञान आहारादि की इच्छा मनसहित (यह अर्थ यहाँ सूत्र में विवक्षित है) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy