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30.
द्वितीय अध्याय
पञ्चेन्द्रियाणि||15॥ सूत्रार्थ - इन्द्रियाँ पाँच हैं।।15।।
इन्द्रियाँ (जीव की पहचान के चिह)
स्पर्शन
रसना घ्राण
चक्षु
कर्ण
द्विविधानि।।16। सूत्रार्थ - वे प्रत्येक दो-दो प्रकार की हैं।।16।।
निर्वृत्त्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम्।।17।। सूत्रार्थ - निर्वृत्ति और उपकरणरूप द्रव्येन्द्रिय है।।17।।
लब्युपयोगी भावेन्द्रियम्॥18॥ सूत्रार्थ - लब्धि और उपयोगरूप भावेन्द्रिय है।।18।।
इन्द्रिय
द्रव्येन्द्रिय
भावेन्द्रि
निर्वृत्ति उपकरण (इन्द्रियाकार (निर्वृत्ति का रचना) उपकार करे)
लब्धि उपयोग (ज्ञानावरणीय (चेतना का कर्म का क्षयोपशम) परिणाम विशेष)
अभ्यंतर (आत्मप्रदेशों का आकार)
बहिरंग अभ्यंतर बहिरंग (पुद्गल (जैसे - नेत्र में (जैसे - नेत्र की का आकार) काला - सफेद पलकें , भौहें)
मण्डल)
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