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________________ द्वितीय अध्याय संसारी जीवों के अन्य प्रकार से भेद त्रस (त्रस नामकर्म का उदय) स्थावर (स्थावर नामकर्म का उदय) द्वीन्द्रिय जैसे- (लट) त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय पंचेन्द्रिय एकेन्द्रिय (चींटी) (भ्रमर) (मनुष्य) । पृथिवी जल अग्नि वायु वनस्पति साधारण . प्रत्येक (निगोदिया) . (एक शरीर एक स्वामी) " (एक शरीर अनेक जीव स्वामी) सप्रतिष्ठित अप्रतिष्ठित (जिसके आश्रय से अनेक (जिसके आश्रय से कोई निगोदिया शरीर हों) निगोदिया न हो) पाँच स्थावरों के प्रत्येक के 4-4 भेद ... जैसे । पृथिवी पृथिवी जीव पृथिवीकायिक पृथिवीकाय पृथिवी . विग्रहगति का जीव पृथिवीरूप शरीर के पृथिवीकायिक - सामान्य जो पृथिवी में जन्म सम्बन्ध से युक्त जीव जीव द्वारा छोड़ा लेने जा रहा है गया शरीर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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