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प्रथम अध्याय
एकादीनि भाज्यानि युगपदेकस्मिन्नाचतुर्यः।।30॥ सूत्रार्थ - एक आत्मा में एक साथ एक से लेकर चार ज्ञान तक भजना से होते
हैं।।30॥
एक जीव के एक साथ कितने ज्ञान । । ।
।
-
- केवलज्ञान
मति
मति मति श्रुत श्रुत अवधि मनःपर्यय ।
अवधि मनःपर्यय
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