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________________ 10 16 प्रथम अध्याय __ मतिश्रुतयोर्निबन्धो द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु।।26।। सूत्रार्थ - मतिज्ञान और श्रुतज्ञान की प्रवृत्ति कुछ पर्यायों से युक्त सब द्रव्यों होती है।।26॥ रूपिष्ववधेः।।27।। सूत्रार्थ - अवधिज्ञान की प्रवृत्ति रूपी पदार्थों में होती है।।27।। तदनन्तभागे मनःपर्ययस्य।।28।। सूत्रार्थ - मन:पर्ययज्ञान की प्रवृत्ति अवधिज्ञान के विषय के अनन्तवें भाग होती है।।28। ___ सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य।।29।। सूत्रार्थ - केवलज्ञान की प्रवृत्ति सब द्रव्य और उनकी सब पर्यायों में होती है।।29।। 5 ज्ञानों का विषय मति-श्रुत अवधि मनःपर्यय न केवल द्रव्य | सर्व द्रव्य | रूपी द्रव्य रूपी द्रव्य सर्व द्रव्य * पुद्गल * संसारी जीव पर्याय | कुछ पर्यायें कुछ पर्यायें कुछ पर्यायें सर्व पर्याय (अवधि का अनंतवाँ भाग) g Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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