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प्रथम अध्याय मतिश्रुतावधिमनःपर्ययकेवलानि ज्ञानम्।।७।। सूत्रार्थ - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान - ये पाँच ज्ञान हैं।।७।।
तत्प्रमाणे||10॥ सूत्रार्थ - वह पाँचों प्रकार का ज्ञान दो प्रमाण रूप है।।10।।
आद्ये परोक्षम्।।11।। सूत्रार्थ - प्रथम दो ज्ञान परोक्ष प्रमाण हैं।।11।।
प्रत्यक्षमन्यत्।।12॥ सूत्रार्थ - शेष सब ज्ञान प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।।12।।
प्रमाण (सम्यग्ज्ञान)
परोक्ष (इन्द्रिय और मन की सहायता के द्वारा पदार्थों को जानना)
प्रत्यक्ष (बिना किसी की सहायता के केवल आत्मा के द्वारा पदार्थों को स्पष्ट जानना)
मति...
श्रुत
विकल (मर्यादित)
सकल (सम्पूर्ण)
अवधि
मनःपर्यय
केवलज्ञान
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