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दसवाँ अध्याय यामा प्रत्युत्पन्न नयभूत नय ।
(वर्तमान को ग्रहण (अतीत को ग्रहण करने वाला) |
करने वाला) 5 तीर्थ
* तीर्थंकर बनकर * इतर - तीर्थंकर के रहते
- तीर्थंकर के अभाव में चारित्र |चारित्र - अचारित्र | *निकट - यथाख्यात चारित्र के अभाव में * दूर - 5 चारित्र अथवा परिहार
विशुद्धि के अलावा शेष 4 चारित्र
* प्रत्येक बुद्ध - स्वयं से ज्ञान प्राप्त करे |बोधितबुद्ध
* बोधित बुद्ध - दूसरे के उपदेश से
ज्ञान प्राप्त करें केवलज्ञान
*2 ज्ञान *3 ज्ञान
*4ज्ञान 5.अवगाहना अंतिम शरीर से * उत्कृष्ट - 525 धनुष कुछ कम
* मध्यम - अनेक भेद * जघन्य - 3 1/2 हाथ
प्रत्येकबुद्ध ।
नान
1
अंतर
जघन्य - 1 समय उत्कृष्ट - 6 महीने
अंतर अभाव (निरन्तर सिद्ध होने का काल) संख्या (एक समय में कितने जीव सिद्ध होते है)
जघन्य - 2 समय उत्कृष्ट - 8 समय जघन्य - 1 उत्कृष्ट - 108
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