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जघन्य
1 आवलि 1 समय
नवम अध्याय
अंतर्मुहूर्त
इनके बीच में असंख्यात मध्यम भेद हैं।
आर्त्तरौद्रधर्म्यशुक्लानि || 28 ।।
सूत्रार्थ - आर्त, रौद्र, धर्म्य और शुक्ल - ये ध्यान के चार भेद हैं।। 28 ।। परे मोक्षहेतु ||29 ||
सूत्रार्थ - उनमें से पर अर्थात् अन्त के दो ध्यान मोक्ष के हेतु हैं। । 29।।
ध्यान
अप्रशस्त
* पापास्रव का कारण
* दुर्ध्यान
आर्त
रौद्र
पीड़ा का चिन्तन पाप में आनंद
( क्रूर आशय )
संसार के कारण
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उत्कृष्ट 48 मिनिट में 1 समय कम
प्रशस्त
* कर्मों के नाश का कारण
* सुध्यान
धर्म्य
धर्म से युक्त
परिणाम
↓
परम्परा
शुक्ल
शुद्ध परिणाम
मोक्ष के कारण
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203
↓
क्ष
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