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________________ 186 नवम अध्याय किन आसव के कारणों के अभाव में किन प्रकृतियों का संवर होता है ? कारण किस गुण- कितनी कौन-सी प्रकृतियाँ स्थान से प्रकृतियाँ । संवर होता है। 1.मिथ्यात्व 2 मोहनीय = 2 मिथ्यात्व, नपुंसक वेद .... आयु = 1 नरकायु नामकर्म =13 | नरक गति, नरक गत्यानुपूर्वी, कुल =16 | एकेन्द्रियादि 4 जाति, हुण्डक संस्थान, असम्प्राप्तासृपाटिका संहनन, सूक्ष्म, साधारण, स्थावर, आतप, अपर्याप्त 2.अविरति |-अनंतानुबंधी| 3 मोहनीय = 5 | अनंतानुबंधी 4 कषाय, स्त्रीवेद, सम्बन्धी दर्शनावरण=3 | 3 बड़ी निद्रा, आयु = 1 तिर्यंचायु गोत्र = 1 नीच गोत्र नाम =15| तिर्यंच गति, तिर्यंचगत्यानुपूर्वी, कुल =25| मध्य के 4 संस्थान एवं 4 संहनन दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अप्रशस्त विहायोगति, उद्योत -अप्रत्या - 5 | मोहनीय = 4/अप्रत्याख्यानावरण 4 कषाय ख्यानावरण आयु = 1 मनुष्यायु नाम = 5| मनुष्य गति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, कुल 10 औदारिक शरीर एवं अंगोपांग, वज्रवृषभनाराच संहनन । संबंधी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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