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अष्टम अध्याय
*अनुभाग क्या ?
अनुभाग बंध
अनुभव-विविध प्रकार की फल देने की शक्ति का पड़ना अपने अपने नाम रूप निर्जरा(आत्मा से कर्मपने के
संबंध का अभाव)
* किस रूप. *फल (उदय)देकर क्या होता है ?
कैसे परिणामों से कैसा रस (अनुभाग) * शुभ परिणाम पुण्य में अधिक।
पाप में कम । * अशुभ परिणाम पुण्य में कम ।
पाप में अधिक।
अनुभाग की प्रवृत्ति
स्वमुख
परमुख । * अपने स्वभाव रूप ही उदय में आना * अन्य कर्म रूप हो उदय में आना
* जैसे - असाता साता रूप उदय
में आए जिनका नियम से स्वमुख से उदय आता है|
* मूल प्रकृतियाँ
* 4 आयु . * दर्शन और चारित्र मोहनीय
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