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अष्टम अध्याय
शेष जीवों का उत्कृष्ट कर्म स्थिति बंध ज्ञानावरणादि 5 नाम गोत्र
| मोहनीय
एकेन्द्रिय 1 सागर
3/7 सागर
|2/7 सागर
द्वीन्द्रिय 25 सागर
| 25X3 / 7 सागर
25X2 / 7 सागर
त्रीन्द्रिय 50 सागर
|
50X3 / 7 सागर
50x2/7 सागर
100X3 / 7 सागर | 100x2 / 7 सागर
चौइन्द्रिय 100 सागर असैनी 1000 सागर |1000X3/7 सागर 1000x2 / 7 सागर पत्य / असंख्यात
पंचेन्द्रिय
176
उत्तर प्रकृति उत्कृष्ट स्थिति बंध
उत्कृष्ट स्थिति उत्तर प्रकृति (कोड़ाकोड़ी
सागर में)
उत्तर प्रकृति
30
ज्ञानावरण-5 दर्शनावरण - 9 | 30
अंतराय - 5 30
मोहनीय
- दर्शन मोहनीय 70
(मिथ्यात्व ही बँधती)
चारित्र मोहनीय
1. 16 कषाय 2. अरति, शोक,
भय, जुगुप्सा, नपुसंक वेद 20
15
3. स्त्री वेद 4. हास्य, रति, पुरुष वेद
40
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10
वेदनीय
गोत्र
-.
- असाता
- साता
-
आयु. -
देवायु, नरकायु 33 सागर मात्र मनुष्यायु, तिर्यंचायु 3 पल्य
आयु
1 कोटी पूर्व
उत्कृष्टस्थिति (कोडाकोडी *
सागर में)
30
15
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- नीच गोत्र 20
- उच्च गोत्र 10
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